चाहत है इतनी की देश को सदा मुस्कुराता पाऊ
ख्वाहिश है इतनी की अपनों को अपने करीब पाऊ
ना हो कोई जात मेरे हमवतन की
मै कभी ना हिन्दू मुस्लिम के बटवारे में तोला जाऊ
राम और अल्लाह अयोध्या में नहीं हमारे दिलो में बसते है दोस्तों
तो क्यों अपने दिल के बटवारे के लिए अपनों को गैर बनाऊ
राम का चरित्र ,अल्लाह के सन्देश हमे मिलाने का
तो क्यों ज़मीन के बटवारे को लेकर कोई अफ़सोस मनाऊँ
क्यों लड़ते है यहाँ सब उसको ज़मीन दिलाने जिसकी दुनिया में वो रहते है
खुदा इस करतूत पे माफ़ भी ना करेगा कभी चाहे बाबरी के लाख बहाने बनाओ
लड़खड़ाते कदमो को सहारा दे ना पाए अगर अपनी कमजोरी के शिकार हम
तो अपनों की सिसकन को महसूस करने आंसू कहा से लाऊ
चाहत है इतनी की देश को सदा मुस्कुराता पाऊ
sahi kaha dhiru. har hindystani ka maan ma yahi chahat honi chaia.
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