समीक्षा
समीक्षा ज़रूरी है देश और समाज से जुड़े हर विषय की
शनिवार, 30 अक्तूबर 2010
meri baat
कभी सपनो पर ज़िन्दगी की रफ़्तार भारी पड़ जाती है
कभी ज़िन्दगी पर गम और खुशियों की असंतुलित बौछार
क्या करे ...उपर वाले के इसी रहम पर जीना है
संतुलन हो न हो ..संतुलन बनाये रखना है
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