
इन दिनों मासूमियत को टेलीविज़न पर बेचा जा रहा है |छोटे बच्चो की भावनाओ को जिस कदर रिअलिटी शोज़ में परोसा जा रहा है उससे हमारे भावुक भारतीय बड़े ही ममत्व का भाव लिए देखते है कभी बच्चो की सफलता से खुश होकर ताली पिटते है तो कभी उनके आंसुओ से अपना रुमाल भिगो लेते है स्लो मोशन में जिस प्रकार भावुक संगीत के साथ बच्चो के आंसुओ को धीरे धीरे टपकते हुए दिखाया जा रहा है उससे दर्शक मात्र दर्शक न रह कर उन मासूमो का सम्बन्धी हो जाता है और उसकी शो में तरक्की के लिए एस एम एस के ज़रिये अपना सहयोग भेजता है बस यही ये मासूमियत के सौदागर बाज़ी मार लेते है अच्छी टी आर पी के साथ मोबाइल कंपनियो से अच्छी कमाई भी हो जाती है |रिअलिटी शो पर तो बहस पहले भी कई मर्तबा हो चुकी है की इन कुछ भी रियल नहीं है पर अ़ब भी जनता उन्हें उसी चटकारे के साथ देख रही है जो दुखद है मासूमियत पर हो रहे अत्याचार पर अपनी बात कहने से पहले मै रिअलिटी शो से जुड़े कुछ अनुभव साझा करना ज़रूरी समझता हू जो इस तरह से है .... मै भी इस बात से कुछ हद तक सहमत हू की इनमे रियल बहुत कम होता है ये पूरी तरह पैसा कमाने का जरिया है और उसका मूल कारण ये है की मैंने भी १ मर्तबा इंडियन आइडोल और वोइस ऑफ़ इंडिया नाम के रिअलिटी शो के स्वर परिक्षण में मित्र का साथ देने के लिए जोर आज़माइश की थी वहां जो दृश्य देखे और अनुभव किया वो बेहद ही चिंतनीय था हमारे हजारो नौज़वान साथी पलकों में बड़े बड़े सपनो का वज़न लिए लम्बी कतारों में घंटो अपनी बारी के इंतजार में खड़े देखे जिनमे कुछ बेहद बेसुरे तो कुछ इतने सुरीले की मन प्रसन्न हो गया ........पर नियति देखिये बेसुरो को चुन लिया गया और और वो सुरीले नहीं चुने गए | क्यों ?...कारण सीधा सा है वो ऑडिशन राउण्ड में दर्शको को वो मनोरंजन नहीं दे सकते थे जो उटपटांग हरकत करने वाले प्रतिभागी दे सकते थे .मै अपनी बात नहीं करता क्योंकि मै तो बस अपने एक गायक मित्र के साथ उसके सहभागी के तौर पर गया था और किस्मत भी आजमा ली पर फिर भी मेरी नज़रो ने वहा कई नौजवानों के आत्मविश्वास को ठेस पहुँचते देखा है...इतना अच्छा करने के बाद भी मेरा चयन नहीं हुआ और उस नमूने का हो गया ....ऐसे सवालो से घिरा नौजवान जाने अनजाने में अपने टूटते आत्मविश्वास की झलक हर किसी को दिखा जाता है
शो चलने के लिए कुछ सुन्दर चेहरों के साथ अच्छी आवाज़ वालो का चयन कर भी लिया जाता है पर उनसे भी ज्यादा प्रतिभावान कही ख़ामोशी से बैठा होता है ये उस प्रतिभा के साथ दुर्व्यवहार नहीं तो और क्या है ?
एक ऐसी बात बताता हू जिसको जानने के बाद सच और साफ़ हो जाता है इंडियन आइडोल नाम के रिअलिटी शो के प्रसारण के समय चयन का पहला चरण जो दिखाया जाता है वास्तव में वह तीसरा या चौथा चरण होता है जिसमे दर्शक देखते है की तीन बड़ी हस्तियों के सामने किस प्रकार कुछ अच्छे तो बहुत से नमूने अपनी प्रस्तुति देते है ....अ़ब सोचिये क्या वो नमूने जो पहले चरण में दिखते है और आपको हसने पर मजबूर कर देते है क्या वो कम खूबसूरत उन सुरीलो से अच्छे है जो वह शुरुवाती दौर में ही बाहर हो गए ............दर्शको को भावपूर्ण प्रस्तुति देकर कभी हसने तो कभी रोने पर मजबूर कर देने वाले ये शो बहुत सी प्रतिभाओ का दिल तोड़कर अच्छी संभावनाओ का अंत कर देते है ...............
अ़ब मै अपनी मूल बात पर आता हू की मासूम बच्चो के साथ जो कुछ रिअलिटी शोज़ में हो रहा है वो भी मेरे अनुभवों से जुदा नहीं है दरअसल मैंने डांस इंडिया डांस शीर्षक के रिअलिटी शो में देखा की किस प्रकार एक पांच साल की बच्ची को उसकी मम्मी मंच तक लेकर आई और उसका नृत्य देखकर सभी खुश हो गए और उसका चयन कर लिया गया ......ख़ुशी हुई .....वही बहुत से छोटे बच्चो को हार हाँथ लगने पर रोते देखा ....अच्छा नहीं लगा ....ये हर किसी ने अनुभव किया होगा पर क्या ये सोचा की उस टूटे हुए नन्हे दिल पर इसका क्या असर पड़ेगा जो शो से बाहर हो गया ...उसके सामने पूरा जीवन पड़ा है बचपन में हजारो लोगो के सामने मिली असफलता उसकी सारी संभावनाए खत्म कर सकती है.....उसको धीरे धीरे उड़ने दो इतना आत्मविश्वास पैदा करने दो की वो खजाना सारी जिंदगी भर उसके साथ रहे .........बड़ो के रिअलिटी शो में जब एक व्यस्क नौजवान अपनी असफलता से कमज़ोर हो जाता है तो मासूम बच्चे तो नासमझ है उतने समझदार नहीं की असफलता को झेल सके और वापस मुस्कुरा सके .....शुरवाती जीवन में मिली असफलता उनकी नीव डिगा सकती है इन बातो को बच्चो के पालकों को भी समझना होगा जो नन्ही ऊँगली थामे बच्चो को टेलीविज़न के मंच तक ले आते है और उन दर्शको को भी जो मासूमियत को खरीद कर अपनी और बच्चो की भावनाओ से जुड़ कर रिअलिटी शोज़ के द्वारा ठगे जा रहे है .......शो वाले तो तब तक मासूमियत को बेचते रहेंगे जब तक हम उसको खरीदते रहेंगे फैसला हमारा है की हम भारतीय क्यों ऐसे मनोरंजन को पसंद करते है जिसमे वास्तविकता का ढोंग रचकर मासूमियत से खिलवाड़ होता है ...अगर ये नहीं रुका तो बहुत से मासूम बच्चो की प्रतिभा शुरुवात में ही दम तोड़ देगी ...किसी प्रकार इस खिलवाड़ को रुक लीजिये ..उस बच्चे को बचा लीजिये उस हुनर को बचा लीजिये >> सेव चाइल्ड सेव टेलेंट
aapke vicharon se main bhi sahmat hoon par ye sab zyada dino ka nahi hai kyun ki har baat ki ek had hoti hai.......
जवाब देंहटाएंIts true now days Television is On TRP , these reality show is no more reality time again & again we have seen that ,but any how people only want entertainment whatever its means may be its children dance show or singing show they only want to play with our emotions .
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