शुक्रवार, 18 जून 2010

शिखा चिताम्बरे चली छालीवुड से बॉलीवुड की ओर


इन दिनों कई छत्तीसगढ़ी कलाकार राज्य से बाहर निकल कर अपनी कला की आभा पूरी दुनिया में बिखेरने में लगे है उन्ही में एक नाम है छालीवुड अभिनेत्री शिखा चिताम्बरे का, जिनकी हाल में प्रदर्शित छत्तीसगढ़ी फिल्म "टूरा रिक्शा वाला" ने धूम मचा रखी है पेश है मेरी उनसे मुलाकात के कुछ अंश ..

फिल्मो में काम करने के अलावा आपकी और क्या गतिविधिया है ?

जैसा की आप जानते है की मै छत्तीसगढ़ी फिल्मो में काम कर रही हू इसके अलावा मै ये बताना चाहती हू की मै बी एस सी आई टी में स्नातक हू और पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय से एम बी ए की पढाई कर रही हू और कला जगत से तो मेरा जुडाव है ही चित्रकारी नृत्य और गायन मुझे बेहद पसंद है बस इन्ही से जुडी गतिविधिया है मेरी

छत्तीसगढ़ी फिल्मो में अपने कैसे कदम रखा ?

मूलतः मै भरतनाट्यम नृत्यांगना हू मैंने राष्ट्रीय स्तर पर दो बार इस कला में विजेता होने की उपलब्धि हासिल की है फेमिना के एक शो में मै भरतनाट्यम परफोर्म कर रही थी संयोग से उस दौरान छत्तीसगढ़ी फिल्मो के कलाकारों की एक टीम वह मौजूद थी उन्होंने मुझे वीडियो एलबम्स में काम करने प्रस्ताव दिया वही से मुझे अभिनय जगत में प्रवेश करने का मौका मिला पहले छत्तीसगढ़ी एलबम्स किये फिर फिल्मे .

सुना है छत्तीसगढ़ी अभिनय जगत से शुरुवात करने वाली शिखा ने मायानगरी मुंबई में भी अपनी अदाकारी के जलवे बिखेरने शुरू कर दिए है

जी बिलकुल सही कहा अपने इन दिनों मै सोनी सब टीवी के लोकप्रिय कॉमेडी सीरियल "ये चंदा कानून है" में काम कर रही हू , जी टीवी में एक शो "साथ साथ बनायेंगे एक आशियाँ " , सोनी सब टीवी के ही सीरियल गपशप कॉफ़ी शॉप और एन डी टीवी इमेजिन के "महिमा शनिदेव की" में काम कर चुकी हू ....इन सबके अलावा आप जल्द ही मुझे बॉलीवुड की बिग स्क्रीन में भी देख सकेंगे मेरी हिंदी फिल्म फरार जुलाई में प्रदर्शित होने जा रही है

क्या अपने अन्य भाषाओ की फिल्मो में भी अभिनय किया है?

मैंने छत्तीसगढ़ी फिल्मो के अलावा मराठी, तेलगु और भोजपुरी फिल्मो में भी काम किया है पर विशेषकर भोजपुरी फिल्मो की अगर बात की जाये तो मैंने ३ भोजपुरी फिल्मो में काम किया है जिसमे से एक फिल्म सुपरस्टार रविकिशन जी के साथ की थी "जला दे दुनिया तोहरा प्यार में" जिसका प्रदर्शन कान फिल्म फ्रेस्टीवल में होने जा रहा है

रविकिशन जी को दर्शको ने जितना भी टीवी पर देखा है खासकर बिग बॉस में उससे उनके अड़ियल रवैय्या ही लोगो के सामने आया है .उनके साथ काम करने का आपका अनुभव कैसा रहा ?

रविकिशन जी बहुत अच्छे इन्सान है सुपरस्टार होने बावजूद उनका वो बेहद सहज स्वाभाव के है .मैंने उनके साथ पहली बार काम किया उससे तो ये ही लगा .उनकी जूनियर कलाकार होने पर उन्होंने बहुत सपोर्ट किया और मार्गदर्शन भी दिया . वो जब काम करते है तो बस पूरी तरह उसमे ही रम जाते है और अपना १०० फीसदी मेहनत करते है .टेलीविज़न में जो भी रवैय्या देखने या सुनने में आता है सब टीआरपी का खेल है

छत्तीसगढ़ी फिल्मो के कलाकारों को वो शोहरत नसीब नहीं होती जो भोजपुरी या दक्षिण भाषाई फिल्मो के कलाकारों को पुरे भारत में मिलती है क्या वजह मानती है ?

इसके दो कारण है पहला यह की वह का दर्शक वर्ग उन्हें बेहद सपोर्ट करता है उनका उत्साह वर्धन करता है जिससे उनकी कला को राष्ट्रीय मंच में भी पसंद किया जाता है वही दूसरा और अहम कारण यह है की वह की राज्य सरकारे फिल्म उद्योग को बढ़ावा दे रही है जबकि छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं है अगर छत्तीसगढ़ की सरकार इस बारे में विचार करे तो ज़रूर छालीवुड के कलाकारों को भी वो शोहरत नसीब हो सकेगी जो भोजपुरी या दक्षिण भाषाई फिल्मो के कलाकारों को पुरे भारत में मिलती है

एक साथ कई भाषाओ में काम करने में क्या कोई परेशानी महसूस होती है ?

एक साथ कई भाषाओ में काम करना वाकई में थोडा मुश्किल होता है क्योंकि अलग अलग जगहों में जाकर वह की भाषा में को बोलना उस में अभिनय करना थोडा चेलेंजिंग है इसके लिए कलाकारों को ट्रेनिंग भी लेनी होती है काफी मेहनत लगती है मैंने भी मेहनत की है पर मुझे ऐसा करने में कोई खासी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ा

प्रगति पथ पर आगे बढ़ रही शिखा को सबसे ज्यादा सहयोग किसका मिला?

आज के ज़माने में हर जगह संघर्ष है अभिनय की दुनिया में भी जगह बनाना भी बहुत संघर्षपूर्ण है और अगर किसी को आगे बढ़ना है तो उससे खुद पर विश्वास के साथ पारिवारिक सहयोग भी बेहद ज़रूरी है .इस मामले में लकी हू मुझे इस फिल्ड में आने के लिए मेरे मम्मी पापा का भरपूर सहयोग मिला जहा मेरा आत्मविश्वास जवाब देने लगता मेरे माता पिता ने उससे सहारा दिया मेरे छोटे भाई ने भी मेरे आत्मविश्वास में वृद्धि करने में मदद की ..ये मेरे परिवार की इच्छाशक्ति का ही नतीजा है की मै आज यहाँ तक पहुंची हू

फिल्मो में काम करना और साथ साथ पढाई करना कितना मुश्किल है आपके सहपाठियों का क्या रिऐक्शन रहता है आपके अभिनय को लेकर?

सच कहू तो मेरे साथ पढने वाले मेरे दोस्तों को विश्वास ही नहीं होता की मै वो ही शिखा हू जो टीवी पर दिखती हू उनका कहना है की मै टीवी और फिल्मो में एकदम अलग लगती हू . लेकिन मैंने उनसे कह रखा है की जब मै कॉलेज में रहती हू तो केवल उनकी दोस्त शिखा हू और जब मै परदे पर हू तो उससे अलग अभिनेत्री हू मुझसे केवल अपनी वही पुरानी दोस्त की तरह व्यवहार रखो और वो ऐसा ही करते है जो मुझे अच्छा और सहज लगता है
और जहा तक पढाई और अभिनय साथ साथ करने का सवाल है उसमे मै ये ही कहना चाहूंगी की मै जब पढ़ती हू तो मेरा ध्यान केवल पढाई पर ही रहता है और एक्टिंग के समय एक्टिंग में ..अगर जो काम हम कर रहे है उस वक्त उसी में अपना ध्यान केन्द्रित रखे तो कोई समस्या नहीं आएगी और देखिये मुझे कोई समस्या नहीं आती दोनों काम साथ साथ चल रहे है

आप मूलतः भरतनाट्यम नृत्यांगना है अभिनय और नृत्य में कैसे सामंजस्य बिठा पाती है?

मेरे नृत्य गुरु प्रशांत चौहान जी ने मुझसे कहा था की जब भी नृत्य करो उससे जुड़े भाव को महसूस करो और उस वक्त उन्हें व्यक्त भी करो नृत्य के साथ लिप्सिंग का बहुत महत्व है ..साथ ही उनका कहना था की जिस धुन या गीत पर नृत्य कर रहे है उसके भाव अगर दर्शको को नहीं दिखा पाए तो नृत्य प्रदर्शन पूरी तरह प्रभावहीन हो जायेगा ...ये उनकी बातो का ही असर है की आज मै नृत्य करते करते अभिनय सीख गई ..अब अभिनय और नृत्य दोनों को निभाना सहज लगता है

नृत्य और अभिनय में किसे बेहतर मानती है ?

जैसा की आप जानते है की मूलतः मै एक भरतनाट्यम नृत्यांगना हू अभिनेत्री बाद में . यही कारण है मुझे नृत्य ज्यादा आकर्षित करता है .मै जब भी टीवी सेट पर होती हू बहुत बोर हो जाती हू क्योंकि वहा डांस का कोई काम नहीं होता ..एक्ट करो और फिर सीधे वैनेटी रूम में जाकर एसी में बैठो इतना ही होता है ..टीवी में डांस का उतना स्कोप नहीं होता और मुझे डांस का बहुत ज्यादा शौक है इसी कारण मै फिल्मो में काम करना ज्यादा पसंद करती हू क्योंकि वहा डांस करने के मौके ज्यादा मिलते है

टीवी पर आने वाले रिअलिटी शो में परफॉर्म कर रहे युवाओ का क्या भविष्य देखती है ?

बड़ा ही विवादित सा प्रश्न पूछा है आपने रिअलिटी शो तो शुरू से ही विवादों में घिरे रहे है ..मेरे विचार से अगर माता पिता अपने बच्चो को डांस, संगीत या एक्टिंग से जुड़े रिअलिटी शोज़ में न भेजे तो ही अच्छा है क्योंकि वह भविष्य सुरक्षित नहीं है ...अगर किसी को कुछ करना ही है तो उस फिल्ड से जुड़े बड़े नामों से जाकर ही मार्गदर्शन लेना चाहिए उनसे जुड़ने का प्रयास करना चाहिए तभी तरक्की संभव है ...रिअलिटी शोज़ में उनका टेलेंट वही तक रह जाता है


फिल्म उद्योग में कास्टिंग काउच जैसी घटनाओ के बारे में क्या कहेंगी और बिकनी साथ ही साथ अभिनेत्रियों में बिकनी पहनने लगी होड़ को लेकर आपका क्या मत है ?

कास्टिंग काउच गलत है ये अभी जानते है पर इस जैसी समस्याओ के बारे मै मै ज्यादा कुछ नहीं कह सकती क्योंकि मेरे साथ इससे सामना नहीं हुआ ..और जहा तक बिकनी पहनने की बात है ये कॉन्सेप्ट पर आधारित होता है अगर वह बिकनी पहनना ज़रूरी है तो ठीक है और अगर वो कॉन्सेप्ट से मेल नहीं खाता तो ज़बरदस्ती वह इससे थोपना सही नहीं लगता ...ये सब ज़रूरत के हिसाब से हो तो ही सही है ...

भारतीय फिल्मो की शालीनता को एक समय पर पुरे विश्व में माना जाता था पर अब जिस गति से यहाँ फूहड़ता ने प्रवेश किया है क्या उससे अंतराष्ट्रीय स्तर पर हमारी फिल्मो की छवि को कोई नुकसान पहुंचा होगा ?

शायद अन्तराष्ट्रीय स्तर पर वाकई में हमारी फिल्मो की छवि पहले से बिगड़ी है ..जब से फिल्म में उद्योगीकरण का प्रवेश हुआ है तब से ही यहाँ फूहड़ता ने स्थान बनाया है हर कोई अपनी जेब भरने के लिए दोयम दर्जे की फिल्मे बना रहे है जिनमे कहानी और शिक्षाप्रद बाते नहीं होती बस फूहड़ता ही होती है ..पुराने समय के फ़िल्मकार फिल्मो को उनकी गुणवत्ता और सामाजिक पहलुओ को ध्यान रख कर ही बनाते थी और उसी से लाभ भी कमाते थी ..पर अब ऐसा नहीं नहीं ..युवा फिल्मकारों को चाहिए की वो इस और प्रयास करे और सार्थक फिल्मो के निर्माण में लगे तभी बदलाव संभव है

बॉलीवुड के फ़िल्मकार ऑस्कर पाने के लिए फिल्मो में क्या क्या प्रयोग नहीं करते क्या ऑस्कर इतना महत्व पूर्ण है हमारे लिए ?

देखिये ऑस्कर एक विदेशी पुरस्कार ज़रूर है पर हर कोई चाहता है की उसकी कला को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर अलग पहचान मिले इस लिहाज़ से ओस्कर पाने की लालसा जायज़ है ..पर एक बात ज़रूर है विदेशी फ़िल्मकार अपनी फिल्मो में अपनी संस्कृति और चाल चलन को बराबर से महत्व देते है पर हमारे यहाँ के फ़िल्मकार ऑस्कर चाहत में अपनी संस्कृति के आवश्यक बिन्दुओ को अनदेखा कर देये है और अन्तराष्ट्रीय झलक दिखने के लिए उसमे पश्चिमी संस्कृति का तड़का लगते है जो सही नहीं है उन्हें समझना चाहिए की इससे कोई फायदा नहीं है अगर हमारी संस्कृति से जुडी बातो को नए फार्मूले के साथ पेश किया जाये तो हमे ज़रूर सफलता मिलेगी ..

आपकी लाइफ का सबसे यादगार लम्हा ...?

(हँसते हुए)...यादगार लम्हा ....जब से अभिनय जगत में कदम रखा है तब से घर वालो के साथ ज्यादा वक़्त गुजरने का मौका ही नहीं मिलता..तो जब भी अपने घर वालो के साथ होती हू वो लम्हा मेरे लिए यादगार बन जाता है ...


माँ में कहा ...बड़ी ख़ुशी होती है उसको इस मुकाम पर देखकर .पर अफ़सोस भी होता है की उसके पास हम लोगो के लिए टाइम नहीं है...जब बाहर जाते है और दुसरे बच्चो को मौज मस्ती करते देखते है तो थोडा अजीब लगता है की हमारी बेटी के पास मौज मस्ती करने के लिए समय ही नहीं..शिखा एक आधुनिक लड़की होते हुए भी संस्कारी है और घर के सारे काम जानती है (वनिता ,शिखा की माता )

पापा कहते है .....बड़ी ख़ुशी होती है जब मुझे शिखा के पापा के नाम से लोग पुकारते है ...अगर कोई कम सच्ची लगन से किया जाये तो वो अपना मुकाम हासिल करना कहते है वो उनको मिलेगा और शिखा में ये लगन दिखती है
हम पहले हम शिखा को इंजिनीअर बनाना चाहते थे पर उसकी रूचि को देखते हुए हमने उससे डांस और अभिनय के छेत्र में जाने से नहीं रोका ..सभी अभिभावकों से कहना चाहता हू की उन पर अपनी मर्ज़ी नहीं थोपे वो करने दे जो वो चाहते है ..वो ज़रूर आगे बढ़ेंगे ..(विनोद चिताम्बरे .शिखा के पिता )लेखा सहायक, ट्रेजरी विभाग,रायपुर )

भाई की जुबानी ...बहुत अच्छा लगता है गर्व महसूस होता है उसको बहुत मेहनत करते देखा है यहाँ तक पहुचने के लिए ..अभिनय का कोई शौक नहीं पर अगर किसी फिल्म में उसके भाई का रोल मिला तो ज़रूर करना चाहूँगा (सारांश ,शिखा का छोटा भाई)


नाम ..शिखा चिताम्बरे

जन्म दिवस ..१९ सितम्बर

जन्म स्थान... ग्वालियर(मध्य प्रदेश)

वर्तमान पता ..कबीर नगर ,रायपुर

कद ...५ फुट ६ इंच

पसंदीदा रंग... गुलाबी ,सफ़ेद,भूरा

पहली फिल्म ...तोर आंचल के छैया तले

पसंदीदा फिल्म .. सदमा

पसंदीदा खाना ...घर का खाना ,

पसंदीदा अभिनेता ...आमिर खान

पसंदीदा अभिनेत्री ..ऐश्वर्या ,

पसंदीदा फ़िल्मकार ...संजय लीला भंसाली ,

पसंदीदा डांसर ...हेमा मालनी



आइये इस युवा कलाकार की लगन और मेहनत को सलाम करे और उसकी तरक्की की कामना करे ताकि अन्य माध्यम वर्गीय छोटे शहरों के युवा भी खुद को सामर्थ्यवान समझे

जनरपट समाचार पत्रिका में प्रकाशित इंटरव्यू www.janrapat.com

4 टिप्‍पणियां:

  1. maine tumhara liya ye interview hindusta t.v. men dekha. tumhe baar baar camerey ki taraf nahin dekhna chahiye tha. shikha se zyada khush tum dikh rahe the. tumhare expression neeras aur ubaau the. poori energy se lena chahiye tha interview. agae cameramen par dought tha to kisee aur ko le jana chahiye tha. achchhi lagee sameeksha. main baar baar kahta hun seekho.. seekho..par aaj ki peedhi seekhna chahti hi nahin. apne din to poore ho gaye, ab tum logon ko hi samhalna hai.

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  3. आपका इंटरव्यू बहुत अच्छा लगा . आप चाहें तो इस तरह के इंटरव्यू दैनिक समाचार पत्र मुंबई संध्या के लिए भी भेज सकते हैं. सादर प्राकाशित कराने का प्रयास करूँगा .
    शुभकामनाएं

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