रविवार, 3 अप्रैल 2011

आप सभी को एक बार फिर क्रिकेट विश्व कप 2011 में भारत की विजय पर दिल से शुभकामनाये...जय हिंद जय हिंदुस्तान


२ अप्रैल 2011 वो दिन जिसने एक फिर साबित कर दिया की चाहे लाख सामजिक बुराइयां हो हम हिन्दुस्तानियों में मगर जब देश की बात आती है तो सारे मजहब एक हो जाते है फिर चाहे वो मौका किसी भी संवेदनशीलता को बयां क्यों न करता हो ..संवेदनाये हम लोगो में कूट कूट कर भरी है और हम अपने ज़ज्बातो को ज़ाहिर करना भी बखूबी जानते है ...भारतीय क्रिकेट टीम ने विश्व कप पर कब्ज़ा जमा कर पुरे देश को विजयदशमी ,दीपावली , ईद ,क्रिसमस और प्रकाश पर्व को साथ मानने का मौका दिया ...सन 1983 में भारत ने जब विश्व कप जीता तब तो मेरा जन्म भी नहीं हुआ था मगर इतना यकीन से कह सकता हूँ संचार के माध्यम कम होने की वजह से उस वक़्त जीत का जश्न इस बार की तुलना में कम ज़रूर रहा होगा मगर जश्न तो तब भी मना होगा ..कुछ लोग कहते है क्रिकेट ने हमको क्या दिया वर्ल्ड कप जीता तो खिलाडियों को पैसा मिलेगा हमें क्या मिलेगा ..क्यों क्रिकेट को देखकर समय बरबाद करे..ऐसे लोगो से मै ये कहना चाहता हूँ अगर हर चीज़ को कुछ पाने की चाहत में ही करना चाहते हो तो मंदिर मजारो में चढ़ावा देना बंद कर दो ..जो भी जायेगा पुजारी या खादीम को मिलेगा आपको क्या मिलेगा ..ये सुझाव और उसका तर्क ऐसे ही लोगो की प्रवृत्ति से जुड़ा हुआ है मेरी नहीं ..मै तो केवल इतना जानता हूँ शहर की सडको में रोज़ ट्रेफिक में फसने के बाद ज़रा सी ठोकर लग जाने पर एक दूसरे को गली देने वाले ..बात बात पर जाति और धर्मं की आड़ लेकर अपनी खीज निकलने वाले अगर विश्व क्रिकेट के शीर्ष में में भारतीय पताके को लहराता देख कर देर रात सडको पर उतर आते है, रात भर जश्न मानते है, अनजान अपरिचित लोग किसी घनिष्ट की तरह गले लग कर जीत की एक दुसरे को मुबारकबाद देते है तो सौहार्द्य का ये पर्व गर्व करने योग्य है क्रिकेट महज एक खेल है मगर इसने जो कर दिखया वो बड़े बड़े बड़बोलो ने नहीं किया ...मुझे भी इस जीत से कुछ आमदनी नहीं हुई मगर जो ख़ुशी अपने लोगो के खिलखिलाते चेहरे देख कर मिली ...लोगो में खुशिया देख कर मिली उसको बयां नहीं कर सकता ..अगर कहते है क्रिकेट एक धर्मं है तो ये सच है ये एक ऐसा धर्मं है जिसे न आज के समय में पुरे साल अपने अस्तित्व को जताने के लिए अपने अनुयाइयो के ज़रिये प्रचार की ज़रुरत है न किसी धार्मिक चंदे की ,ना राजनैतिक दलो के सानिध्य की , ना किसी सामाजिक नियम कायदे की ...ये बस इंसानी भावनाओ को संजोना जानता है हार में मायूसी और जीत में जश्न की छवि उकेरना जानता है ..जिस्मानी और मानसिक तौर पर टूटे लोगो को कुछ समय के लिए सही एक दुसरे में समेटना जानता है ...इन सब से इतर ये बात अलग है हर किसी की अपनी स्वतंत्रता है किसी को किसी चीज़ में ख़ुशी मिलती है किसी को किसी ज़िन्दगी जीने का अपना अपना तरीका है जो करना है कहना है कहिये और करिए मगर सकारात्मकता को जीने का प्रयास कीजिये ...कल रात को धोनी के छक्के के साथ ही पूरा देश खुशियों के मरे उछल पड़ा उन सभी की खुशियों का सम्मान करता हूँ क्रिकेट को और टीम इंडिया को सलाम करता हूँ जिन्होंने ये ऐतिहासिक पल का साक्षी हमें बनाया ...मुझे रायपुर के जय स्तम्भ चौंक में हजारो की भीड़ के साथ उनकी / हम सबकी ख़ुशी में शरीक होना बहुत सुखदाई लगा ...आप सभी को एक बार फिर क्रिकेट विश्व कप 2011 में भारत की विजय पर दिल से शुभकामनाये...जय हिंद जय हिंदुस्तान ...

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