रविवार, 3 अप्रैल 2011

चिंतलनार ने बढाई रमन सिंह की चिंता

छत्तीसगढ़ की खुद की पहचान देश में उतनी नहीं बन पाई जितनी की दंतेवाडा कीदेश और दुनिया में है ॥आये दिनों यहाँ देशी और विदेशी मानवाधिकारसंगठनों और उनसे जुड़े कार्यकर्ताओ का जमावड़ा लगा रहता है रायपुर की एकनिचली अदालत द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता डॉ। बिनायक सेन को उम्रकैद कीसजा की सुनाये जाने के बाद दंतेवाडा में अन्तराष्ट्रीय मानवाधिकारसंगठनो सहित विदेशी मीडिया वालो ने चहलकदमी तेज़ कर दी थी फिर भला देशीक्यों चूक करते ॥ दंतेवाडा से नक्सलियों द्वारा पांच जवानों को अगवाकिये जाने के बाद स्वामी अग्निवेश छत्तीसगढ़ आये और जवानों की रिहाई केलिए सरकार की और से मध्यस्थता की और राज्य सरकार के समक्ष प्रस्ताव रखाकी वो नक्सलियों और सरकार के बीच शांति वार्ता के लिए कोशिश करना चाहतेहै उनके इस प्रस्ताव पर राज्य सरकार ने सकारात्मक रुख अख्तियार करने काभरोसा भी दिलाया ..इस पूरे घटना क्रम के बाद एक बार ऐसा लगा मानो स्वामीअग्निवेश का अगला छत्तीसगढ़ प्रवास शांति की उम्मीदे लायेगा ..मगर घटा कुछअलग जिसे केवल एक घटना के तौर नहीं बल्कि दुर्घटना पहचाना गया ..इस बारस्वामी जी 14 मार्च को दंतेवाडा के चिंतलनार में आदिवासियों के साथ हुएहादसे पर मरहम लगाने आये थे दरअसल सुरक्षा बलों पर आरोप है कि 14 मार्चको जब माओवादियों से मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबल के जवान चिंतलनार से वापसलौट रहे थे।तब लौटने के क्रम में उन्होंने कथित रूप से चिंतलनार केइलाक़े में कुछ गांवों में जमकर उत्पात मचाया और आदिवासियों के 300 घरोंको जलाया, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया और कुछ ग्रामीणों की हत्या भीकर दी थी.हालांकि पुलिस ने इस घटना से इनकार करते हुए कहा कि ये सिर्फमाओवादियों का एक प्रचार है किन्तु जो भी इस घटना ने राज्य सरकार को एकबार फिर कटघरे पर खड़ा कर दिया और इसमें स्वामी अग्निवेश का बड़ा हाथ है..मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को शांति का पाठ पढ़ाकर गए अग्निवेश जबआदिवासियों के साथ हुए हादसे की पीडितो के लिए राहत सामग्री लेकरचिंतलनार जा रहे थे तब वहा पहुचने के पूर्व रास्ते में उनके काफ़िलेपर कुछ लोगो ने पथराव किया और उन पर अंडे फेंके और उन्हें वापस लौटनापड़ा स्वामी अग्निवेश ने मामले में सीधे सीधे तौर पर छत्तीसगढ़ सरकार कोज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि हमला राज्य सरकार के इशारे पर हुआ था..अग्निवेश के बयान ने चिंतलनार में हुए अग्निकांड की आग को विधानसभा तकपहुंचा दिया और इस मुद्दे को लेकर विपक्ष ने खूब हंगामा किया ..इन सबकेबीच चिंतलनार का हाल जानने वहां जा रहे कांग्रेसी विधायको के दल को भीपुलिस ने रास्ते में रोका था इस पूरे मामले पर छत्तीसगढ़ विधानसभा मेंविपक्ष के नेता रविन्द्र चौबे ने रमन सरकार पर आरोप भी लगाया कि हमलाकरने वालों को सरकार पनाह दे रही है...अब कौन सही है और कौन गलत इसकाखुलासा आने वाले दिनों में साफ़ हो जायेगा जब मीडिया इस घटना की सच्चाई कीपरत कुरेदने लगेगी मगर प्रथम दृष्टया इस मामले में राज्य सरकार और पुलिसकी भूमिका संदिग्ध नज़र आ रही है बहरहाल मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह नेमामले को बढ़ता देख कर तपाक से स्वामी अग्निवेश को लपेटे में लेते हुए येसवाल उठा दिया कि मानवाधिकार संगठन वाले केवल नक्सलियों के हितेषी बनकरकि क्यों बार छत्तीसगढ़ चले आते है तब क्यों नहीं आते जब पुलिस औरसुरक्षाबलों के जवानों को नक्सलियों का शिकार होना पड़ता है जो भी हो एकबात तो साफ़ है कि दंतेवाडा में शांति की गुहार लगा रहे आदिवासियों को नातो राज्य सरकार का सहारा है ना स्वामी अग्निवेश सरीखे मानवाधिकारकार्यकर्ताओ का और ना ही माओवादियो का ..छत्तीसगढ़ का ये इलाका फिलहालकेवल हिंसा .राजनीती और लाल गलियारे सहित बिनायक सेन की कर्मभूमि के नामसे जाना जायेगा ..आदिवासी उनके हितो वहां के विकास कार्यो और संस्कृति केलिए नहीं

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