शुक्रवार, 3 अगस्त 2012

अगर खुद के लिए ना जीना चाहो... तो किसी और के लिए जियो..........



क्या कहू तुझसे ..तू जो चाहे वही माने ...क्यों दूर रहे तू उससे जिसे तू अपना भगवान माने.... ज़िन्दगी उसने दी कुछ कर कर गुजरने के लिए ...तो उसे तू गवाना चाहे ..
...है हर शख्स को मुस्कान की चाहत ..फिर क्यों तू उनके ख्यालो को ना जीना चाहे ...तू माने वही ... जो तू करना चाहे फिर भी ये सवाल उभरता क्यों है .... अब तो वो इश्वर भी पत्थर हो गया है तो फिर तेरा दिल मोम सा पिघलता क्यों है ...


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 दुनिया में प्यार और सहारे की ना जाने कितनो को ज़रूरत है ...बेहतर होगा कि अपना सारा प्यार एक पर न्योछवर करने की जगह थोडा थोडा उन में बाँट दो जिन्हें स्नेह की जरुरत है ..... उनमे बर्बाद ना करो उनके लिए जिनके पास वो पहुच नहीं पा रहा ... या जिन्हें उसकी जरुरत नहीं ........ अगर उपर वाले ने प्यार का मतलब ..उसका एहसास करा दिया है तो उससे सीख लेकर ..उसको यू बिखेरो जैसे मोती ... अगर सभी अपने स्नेह के भाव को व्यर्थ ना गँवा कर उसे मायूसी की कगार में पड़ी जिंदगियो में बाटेंगे तो ये छोटे छोटे प्रयास किसी के लिए संजीवनी बन जायेंगे .....जियो और जीने दो ... और अगर खुद के लिए ना जीना चाहो... तो किसी और के लिए जियो..........


Dhirendra Giri Goswami 

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